रविवार, 22 अगस्त 2010

एक घूंट प्यास



सोचेंगे अरे ये कैसा शीर्षक? और शायद आप इसे इसलिए पढ़े,  क्योंकि ज़िंदगी में हम उन्हीं चीजों की तरफ बढ़ते हैं जो कहीं न कहीं हमें तृप्त करती है.....पर ये तृप्ति की परिभाषा भी बड़ी कठिन है ....क्योंकि कोई भी कभी तृप्त नहीं होता ...हर बार रह जाती है बाकी      " एक घूंट प्यास"......और यही अधूरी प्यास भटकाती रहती है ज़िंदगी भर और हम उस तृप्ति को तलाशते रहते हैं.....हर किसी की ख्वाहिश अलग, पसंद अलग, चाहत अलग फिर तृप्ति की परिभाषा भी तो अलग होगी ना....अब चातक को देखिए पियेगा तो स्वाति नक्षत्र का ही पानी अरे भई प्यास लगी है तो पी लो ना पानी दुनिया में पानी की कमी थोड़ी है.....पर यही तो बात है, जिस जो चाहिए बस अपने लिए वो उसे ही तलाशेगा...वरना चांद को टकटकी लगाए चकोर यूं ही नहीं ताकता ...पानी गिरने की खुशी में मोर यूं ही नहीं नाचता .....इतनी सुंदर दुनिया में फिर इतने अपराध न होते सब सुकून से अपनी जीवन यात्रा पूरी कर चले जाते वापस उस दुनिया में जहां से आए थे, पर नहीं...ये अतृप्ति कितने और कैसे-कैसे काम करवाती हैं......जो कभी हमारे सोच के दायरे में नहीं था....प्रथा की प्यास अपने बच्चों की जिंदगी से बढ़ जाती है और जन्म देने वालों को तृप्ति मिलती है उन्हें मार कर ....जमीन की प्यास  के लिए अपने खुद बन जाते है बेइमान और अपने ही भाई का हक मार लेते हैं....और उन्हें मिलती है तृप्ति....औरतों को नीचा दिखाने की प्यास में उन्हें सरे आम नंगा कर घुमाया जाता है...जिसे देखकर मिलती है हैवानियत करने वालों को तृप्ति.....झूठे दिखावे की प्यास में इंसान चाहे औरत हो या अदमी...पार कर देता है सारी सीमाएं सही-गलत की और आखिर जब भटकाव की आग में जल जाती है सारी शांति तो कुछ तो लौट जाते हैं ...मन की शांति के लिए सच की दुनियां में पर ज्यादातर लोगों में फिर रह जाती है बाकी ''एक घूंट प्यास''.....

2 टिप्‍पणियां:

  1. दुनिया में पानी की कमी नहीं है...लेकिन दो बूंद भी मिलती नहीं...और कभी रिमझिम घटाएं पीछा करती हैं...तृप्त हो जाउं उसे पीकर उस घूंट की मुझे भी तलाश है...क्योंकि हर किसी को तृप्त होने के लिए एक घूंट की प्यास है...। ऐसे ही लिखते रहो...

    निलेश

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  2. SAB-KUCHH JAL JANE SE PEHLE LAUT AANE KI SAMAJH BACHI RAHE TO SHUKR HAI. AMOOMAN GALTIYON KE KAARAK DOOSRON KO, AUR SAHI GALAT KA NIRNAYAK SWAYAM KO MAAN BAITHNA HI INSAAN KI FITRAT HOTI HAI.. AUR IS SE UBARNA SAB KE BAS KI BAAT KAHAAN?

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