शनिवार, 26 जून 2010

जिंदगी का बरगद



आओ एक रिश्ता उगा लें
जिंदगी के बरगद पर
तुम कुछ लम्हों की रौशनी फैला दो
मैं कुछ यादों की झालर बिछा दूं
कुछ मेरी सांसे
कुछ तेरी सांसे
इस रिश्ते के नाम उधार दे दे
आओ इक ख्वाब बुन लें इस रिश्ते में
जो इस उम्र को ठहरा दे इक मोड़ पर
जहां मैं तेरी आंखो से आंसू चुरा लूं
जहां मैं अपनी हंसी तुझे दे दूं
जहां मैं अपनी सांसों में तेरी खुशबू भर लूं
जहां मैं अपनी तकदीर में तेरा नाम लिख दूं
जहां मैं तुझमें पनाह पा लूं
आओ एक रिश्ता बनाएं
जिसका कोई नाम न हो
जिसमें रूह की बात हो
और सिर्फ तू मेरे साथ हो
आओ एक रिश्ता उगा लें
जिंदगी के बरगद पर.......

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