रविवार, 14 जुलाई 2019

मेरी नई शुरुआत

 मेरी नई शुरुआत   
शुरुआत जब भी करो नई ही होती है ...अब से ब्लॉग में मैं नई शुरुआत करने जा रही हूं ...उन महिलाओं से आपको रूबरू करवाने का जिन्होंने विपरीत परिस्थियों में ऐसा काम किया जिसनें उनके जीवन के साथ दूसरों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव किया ...इस कड़ी में आज मिलिए पद्मश्री डॉ जनक पलटा से जो बड़ी अद्भुत महिला हैं....प्रकृति और प्रकृतिपद्दत चीजों से खुद जी रही हैं और दूसरों को प्रेरित कर रही हैं..डॉ जनक ने सूरज की रोशनी को हर घर के चूल्हे तक पहुंचाने का काम किया..और ऐसे सोलर कुकर बना दिए जो मिसाल है..सौर ऊर्जा से गांव में रोशनी पहुंचा दी...और भी बहुत कुछ देखिए इस रिपोर्ट

पद्मश्री डॉ जनक पलटा मगिलिगन - सूरज की रोशनी से बनी पहचान

धरती की हर चीज मनुष्य को कुछ ना कुछ देती ही है और बदले में हमसे कुछ भी नहीं मांगती..और हम है कि लगातार प्रकृति का दोहन ही करते जा रहे हैं...अगर वक्त रहते हम ना जागे तो आने वाली पीढ़ी को देने के लिए हमारे पास कुछ भी नहीं बचेगा...इसी सोच को लेकर काम कर रहीं है पद्मश्री जनक पलटा। जिन्होंने सूरज की रोशनी को,पेड़-पौधों को,खेत-खलिहान को ना खुद अपने लिए बल्कि दूसरों के जीवन में रोशनी के लिए चुना है.. इस कार्य में उनके पति और परिवार के लोगों ने पूरा सहयोग दिया.
तरह-तरह के सोलर कूकर...दूर गांव तक जाति सोलर लाइट जो गरीबों के गांव गली को रोशन कर रही है...और हजारों लोगों को सोलर कूकर बनाने का प्रशिक्षण भी दे चुकी हैं...इसके अलावा सोलर कूकर का निर्माण कर लोगों तक पहुंचाने का काम भी लगातार कर रहीं हैं..जनक के पति नार्दन आयरलैंड के थे पर भारत में रहकर यहां के गांव के लिए अहम कार्य किए और इस कार्य के लिए उनके देश की सरकार ने सम्मानित किया...पति की मृत्यु के बाद जनक इस काम को आगे बढ़ा रही हैं.. इस कार्य के लिए जनक को पद्मश्री जैसा सम्मान भी हासिल है आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जनक ने अपने पति के साथ मिलकर इस कार्य को किस हद तक समाज के लिए समर्पित किया होगा कि घर का कोना-कोना सम्मान से भरा पड़ा है.....डॉ जनक एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता है वो इंदौर जिले के सनावदिया गांव में स्थित जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की संस्थापिका और निर्देशिका हैं जो गैर सरकारी संगठन है..जनक ग्रामीण महिलाओं के बारली विकास संस्थान की पूर्व निदेशक भी हैं..महिला सशक्तिकरण करना उनके जीवन का लक्ष्य है....इस कार्य के लिए डॉ जनक को कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी हासिल हो चुका है ...जनक कहतीं हैं कि प्रकृति ने जो कुछ भी हमें दिया है उसे अपने और अपनी पीढ़ी के लिए हमें सम्हालना होगा..प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं और उसके परिणाम के लिए भी ...तो सम्हलना भी हमे ही होगा..प्रकृति को सहेजने के लिए हम जनक को सलाम करते हैं

ज्योति सिंह 

 

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