दिल्ली की दुनियादिल्ली का सफर तो कई बार किया। कभी कहीं आते-जाते दिल्ली को पार करती ट्रेन से दिल्ली को बड़ी कौतूहल से देखा भी। हर बार एक आश्चर्य और बड़ेपन के अहसास से मन भर जाता था। दिल्ली में रहने वाले लोग छोटे शहरों के लोगों के लिए किसी दूसरी दुनिया में रहने वाले जैसे होते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली जिसका सदियों का गौरवशाली इतिहास है,तो तेजी से बढ़ते मैट्रो कल्चर की हर आधुनिक बातों से लबरेज है। दिल्ली का आकर्षण मुंबई, कोलकाता और चेन्नई से हट के है। बुद्धिजीवी वर्ग, पढ़ाई का माहौल, कला की बानगी तो राजनीति का गढ़ दिल्ली सभी के लिए आकाश के सितारे जैसा है जिसे शायद हर कोई पाना चाहता है।आगे बढ़ने की चाह जिसमे हो वो एक बार जरूर दिल्ली की गति के साथ कदम ताल जरूर मिलाना चाहेगा। बस यही चाह मौका मिलते ही दिल्ली के लिए मेरा भी मन में मचल उठा। मन में आत्मविश्वास लिए पहुंच गई दिल्ली। दिल्ली को अपनाने की जद्दोजहद में दिल्ली को करीब से देखने का मौका मिला। साफ-सुथरी चमचमाती सड़के, सड़कों के ऊपर दौड़ती मेट्रो,रंग-बिरंगी बसें और ऐतिहासिक ईमारतों की गरिमा आपको खास होने का अहसास कराती हैं। यहां लोगों के पास किसी के लिए कोई वक्त नहीं, मेल जोल बढ़ाने का कोई रिवाज नहीं, काम निकालने के अलावा दूसरा कोई मकसद नहीं किसी से जुड़ने का। हर कोई जैसे दूसरी जगह से आने वाले लोगों को कमतरी का अहसास कराने में जुटा है। किसी पे आपने यकीन करने की गलती की तो आपके साथ क्या होगा आप खुद नहीं जानते। ऐसी भूल-भुलैया दिल्ली में अगर आपमे जज्बा नहीं, जूझने की हिम्मत नहीं तो कब आप खो जाएंगे कोई नहीं जानता। दिल्ली के बाहर से यहां आकर पढ़ने वाले, काम करने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। खासकर युवा वर्ग इसे करियर के लिहाज से ज्यादा पसंद करता है। उच्च शिक्षा हो, कोचिंग हो या नौकरी की चाह में युवा खिंचे चले आते हैं। तो यहां हर बात को प्रोफेशनल का जामा पहना कर लूटने वालों की कमी भी नहीं है। पेइंग गेस्ट का कारोबार शायद आईपीएस बनने से ज्यादा फायदेमंद है। हर घर में खुद के लिए जगह कम हो तो चलेगा पर एक कमरा भी है तो आप उससे बेहद कमा सकते हैं। कुछ भी खाना बना दें उसकी कई गुनी कीमत आप कमा सकते हैं। और हां अगर आप संवेदना, सादगी, अपनापन,ईमानदारी जैसी खूबियां रखते हैं तो इसे आप छुपा लें वरना आउटडेटेड कहलाने का खतरा भी यहां है। यहां तो भई जो दिखता है वो बिकता है की परंपरा है अगर आपने बाहरी सजावट अच्छी की है,अंग्रेजी के बोल आपके होठों पर सजे हैं, सामने वाले को बेवकूफ बनाने की कला जानते हैं तभी आप दिल्ली की तरफ उम्मीद से देखें वरना ये दिल्ली आपका दिल निकाल कर आपको बेदिल और बेदखल करने के लिए तैयार है। सोच समझ कर चलें दिल्ली की राह.. ये राह आसान नहीं...गालिब ने शेर मोहब्बत की जगह दिल्ली पर लिखा होता तो शायद सही होता......ये दिल्ली नहीं आसां बस इतना समझ लीजे,इक आग का दरिया है और डूब के जाना है....
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