'like' से आपकी पहचान ?
रीति बड़ी खुश थी ,चहक रही थी ..पता है क्यों ? क्योंकि फेसबुक पर, इंस्टा में उसकी पोस्ट को हजारों लाइक मिले थे..उसकी इस हालत पर सौरभ जो उसी का दोस्त है कहने लगा अरे यार मेरे तो इतने दोस्त नहीं है मैं तो कुछ भी लिखूं या पोस्ट करूं मेरी फोटों में तो इतने लाइक कभी नहीं आते ना ही कमेंट...रीति थोड़ा गर्वित थी सोशलमीडिया में उसकी पहचान सौरभ से कहीं ज्यादा थी....खैर सौरभ मायूस होकर काम में लग गया। एक दिन अचानक सौरभ का एक्सीडेंट हो गया बाइक से उसने कोई फोन मिलाया बस उसके बाद उसे कुछ याद नहीं...जब होश आया तो देखा हास्पिटल में है...सिर में चोट आने से बेहोश हो गया था ..डॉक्टर कह रहे थे वक्त पर अगर आपके दोस्त हॉस्पिलट ना लाते तो शायद जान ना बचती ..आपके इतने दोस्त देखकर बड़ी खुशी हुई ....सब जान देने पर आमादा दिखे रा- दिन एक कर दिए...रीति भी आई मिलने पर मायूस सी..सौरभ ने पूछा क्या हुआ सब ठीक तो है..बोली मैं तो खोखली दुनिया पर इतना घमंड कर इतराती रही और तुम इतने धनी होकर भी कभी जाहिर भी नहीं किया। रीति को कुछ याद आगया था जब वो बहुत बीमार थी ..उसके घर के लोग और सौरभ के सिवा कोई नहीं आया था....पर सौरभ के इर्द-गिर्द इतनी दोस्तों की भीड़ देखकर उसे अहसास हो गया था कि ..सोशल मीडिया में कोई कितना ही लाइक और कमेंट लेले..सही मायने में आपके अपने व्यवहार से बने दोस्त ही वक्त पर काम आते हैं फेसबुक तो केवल ही फेस ही बन कर रह जाता है ..दिल की किताब सच्चे रिश्तों के बिना अधूरी ही रह जाती है ।तो कोशिश कीजिए अपने आस-पास के लोगों से लाइक लीजिए ..वरना मुसीबत में फेसबुक ओपन करने का वक्त भी नहीं मिलेगा और आप तन्हा ही रह जाएंगे...तो अगर किसी को फेसबुक पर लाइक ना मिले तो ये ना समझे की उसका कोई वजूद नहीं.......ज्योति सिंह
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